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रतन नवल टाटा की हुई मौत ।

गुजर गए भारत बड़े उद्योग पति रतन टाटा

रतन टाटा का निधन 86 साल की उम्र में हो गया। उन्होंने देर रात बुधवार को 11:00 बजे अंतिम सांस ली। जानते हैं वह किस बीमारी से ग्रस्त थे..

How was Ratan Tata died? दिग्गज उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले रतन टाटा का निधन 86 वर्ष की उम्र में हो गया। इसकी जानकारी टाटा समूह द्वारा दी गई। टाटा समूह ने कहा कि अपार दुख के साथ हम अपने प्रिय रतन के शांतिपूर्ण निधन की घोषणा करते हैं। बता दें कि उन्होंने देर रात बुधवार को करीब 11:00 बजे अंतिम सांस ली। वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। वहीं वे उम्र संबंधित बीमारियों से ग्रस्त थे। पार्थिव शरीर को करीब रात 2:00 बजे अस्पताल से घर ले जाया गया। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

 

हालांकि 2 दिन पहले भी आईसीयू में भर्ती की खबर आई थी। लेकिन उस वक्त रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर जानकारी दी और यह बात साफ की कि वह अस्पताल केवल रेगुलर चेकअप के लिए आए थे। रतन टाटा को बीपी की भी समस्या थी।

 

रतन टाटा (28 दिसंबर 1937 – 9 अक्टूबर 2024) भारतीय उद्योगपति थे जो टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रहे। वे भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक इकाई, टाटा समूह, के 1991 से 2012 तक अध्यक्ष थे। इसके अतिरिक्त, अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक वे समूह के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया और कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए।

1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयर मेन का कार्य भार सम्भाला। टाटा ने पुराने गार्डों को बहार निकाल दिया और युवा प्रबन्धकों को जिम्मेदारियाँ दी गयीं। तब से लेकर, उन्होंने, टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल दिया है, जो आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूँजी रखता है।

 

रतन के मार्गदर्शन में, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा.

 

31 जनवरी २००७ को, रतन टाटा की अध्यक्षता में, टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है। इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये। इस विलय के फलस्वरुप दुनिया को पाँचवाँ सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला।

रतन टाटा का सपना था कि 1,00,000 रु की लागत की कार बनायी जाए। (1998 : करीब .अमेरिकी डॉलर 2,200; आज अमेरिका). नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी, २००८ को इस कार का उदघाटन कर के उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया। टाटा नैनो के तीन मॉडलों की घोषणा की गई और रतन टाटा ने सिर्फ 1 लाख रूपये की कीमत की कार बाजार को देने का वादा पूरा किया, साथ ही इस कीमत पर कार उपल्बध कराने के अपने वादे का हवाला देते हुये कहा “वादा एक वादा है”

 

26 मार्च २००८ को रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कम्पनी से जगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया। ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक, जगुआर और लैंड रोवर (Land Rover) 1.15 अरब पाउण्ड ($ 2.3 अरब),[3] में खरीदी गई।

 

 

 

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